सांसारिक दुख का अर्थ
[ saanesaarik dukh ]
सांसारिक दुख उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- संसार की बाधा:"ईश्वर ही हमें भवबाधा से मुक्ति दिला सकते हैं"
पर्याय: भवबाधा, भव-बंधन, भव-बन्धन, सांसारिक दुःख, अनात्मकदुःख, अनात्मकदुख
उदाहरण वाक्य
- इसलिए उसे भगवान का वह सुख जो कभी नष्ट नहीं होता मिलने के बजाय सांसारिक दुख प्राप्त होते हैं।
- शनि की साढ़ेसाती और ढैया दोनों ही दशाएं अक्सर शारीरिक और मानसिक कष्ट तथा आर्थिक संकट आदि सांसारिक दुख देती हैं।
- इस प्रकार ये गुरु के रूप में अपने भक्तों को अध्यात्म-ज्ञान का उपदेश देकर सांसारिक दुख से मुक्त करके उनकी अविद्या की निवृत्ति करते हैं।
- अब समय गुजरने के साथ-साथ आयु की परिपक्वता और कई घटनाओं से दो-चार होने के पश्चात् मेरा यह निश्चित और दृढ़ मत है कि ऐसी कोई शक्ति ( ईश्वर ) जो मानव जीवन को प्रभावित , नियंत्रित या दिग्दर्शित करती है , उसकी लय और ताल की बद्धता , ऊंचाई और गहराई के ग्राफ को निर्धारित करती है सांसारिक दुख और सुख के क्षण उत्पन्न करती है या उसे हर लेती है- कतई अस्तित्वमान नहीं है , और यदि है तो उसका मानव जीवन से कोई आसंग या सरोकार नहीं है ...